Wednesday, April 23, 2014


घर के आँगन के पीछे
 एक बड़ा सा पेड़
 चाँद झांकता पीछे से
 जैसे उजली भेड़

 फर्श पे बिखरे पानी पर
 कभी उतर आता
 कभी बादलों से करता
 प्यार भरी मुठभेड़

मुझको अक्सर दिखती है
 आसमान तक मेड़
 एक नन्हा सा गाँव वहाँ
 परियों का है ढेर

 पँख चुरा कर भागी हूँ
 बड़ी मशक्कत से
 कितनी बड़ी बहादुर मैं
 कितनी बड़ी दिलेर ....... ;)...:)

 - रंजना डीन