Sunday, April 15, 2012

हवा के परों पर
है मेरी धरोहर
कहाँ कब तलक है
ये कैसे बताऊँ

हर एक रास्ता
मुझको अपना लगे है
किसे मोड़ समझू
मै किस राह जाऊं

भरे है खजाने
कई चाहतों के
मै सबको बता दूँ
या सबसे छुपाऊँ

जो यादें पलट कर
दिखाती है चेहरा
उन्हें याद रखूं
या फिर भूल जाऊं

मुझे देखकर
उनकी पलकें हुई नम
उन्हें चूम लूँ
या गले से लगाऊं

मुझे जिंदगी ने
सिखाया बहुत कुछ
है अब वक़्त आया
उन्हें आजमाऊं