Monday, March 28, 2011

चाँद गम से चूर होकर अश्क टपकाता रहा


और सब कहते रहे ये चांदनी की रात है


बात जैसी दिख रही है हो हकीकत में वही


ये तो बस गफलत है, तेरी कम अकल की बात है

8 comments:

  1. आपके ब्लॉग पर लगा हमारीवाणी कोड अधुरा है, संभवत: कॉपी करते समय त्रुटिवश कुछ छूट गया है. कृपया लोगिन करके सही कोड प्राप्त करके यहाँ पेस्ट करें

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  2. wah, चाँद गम से चूर होकर अश्क टपकाता रहा
    और सब कहते रहे ये चांदनी की रात है

    - Vivek Jain vivj2000.blogspot.com

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  3. मस्त लाइनें हैं...बहुत कुछ कहती हैं...दो टूक कहती हैं।

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  4. और सब कहते रहे ये चांदनी की रात है
    छोटी रचना सुन्दर भाव से भरी आइये अपने सुझाव और समर्थन के साथ
    धन्यवाद

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  5. एक नया दृष्टिकोण...वाह.. बहुत खूब रंजना जी!

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  6. क्या बात है Fantastic!!!

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