Monday, September 13, 2010

मसरूफियत


मसरूफियत कुछ इस कदर हम पर फ़िदा है
अब चैन के लम्हे हुए हमसे जुदा हैं

हम इश्क भी करते हैं यूँ पाकीज़गी से
के हुस्न के तेवर हुए हमसे खफा हैं

हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
लोगो को लगता है की हम तो बेवफा है

चाहे जो सोचो कुछ असर हमपर न होगा
हूँ क्या मै, मेरे रब - खुदा को सब पता है

6 comments:

  1. हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
    लोगो को लगता है की हम तो बेवफा है....

    क्या बात कह दी ...बिलकुल अपने जैसी ही ..!

    ReplyDelete
  2. हमको नहीं आते बनाने झूठे वादे
    लोगो को लगता है की हम तो बेवफा है ...

    बहुत ही लाजवाब और खूबसूरत शेर ....

    ReplyDelete
  3. ek se bad kar ek sher.
    bahuuuuuuuuut sunder .

    ReplyDelete
  4. हम इश्क भी करते हैं यूँ पाकीज़गी से
    के हुस्न के तेवर हुए हमसे खफा हैं
    वाह बहुत खूब। बधाई।

    ReplyDelete
  5. बहुत ही लाजवाब और खूबसूरत शेर ....

    ReplyDelete