Tuesday, January 26, 2010

मैंने देखा है...

मैंने देखा है...
नाकाबिल लोगो को आगे बढ़ते हुए,
कभी रिश्तों तो कभी...
रिश्वत की सीढियां चढ़ते हुए.
यूँ आगे बढ़ते हुए...
न जाने वो कितनी को गिराते हैं,
किसी की प्रतिभा...
तो किसी का ईमान चुराते है.
इस छोटे से लाभ के पीछे की...
हानि कोई नहीं देखता
प्यास बुझ जाने के बाद...
पानी कोई नहीं देखता.
दुनिया बदल देने की ताकत रखने वाले...
घरों में बेरोजगार बैठे हैं,
बिना सींग वाले जानवर...
ऊँचे ओहदों पर ऐठे हैं.

3 comments:

  1. सच कहा आज हर कोई दूरसे की सिर पर पाँव रख कर आगे बढ़ रहा है .........

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  2. BAHUT SAHI LIKHA AAPNE ...VERY GOOD

    HAR SAAKH PE ULLU BAITHA HAI ANJAME GULISTAN KYA HOGA...

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  3. Corrupt logo pe prahar karati yah sargarbhit rachana prasansniya to hai hi saath hi hame yah prerana deti hai ki aise logo ke samane na jhuke, dridhata se khade rah sake unake samane.

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